उज्जैन। बारिश के मौसम में जिले में पिछले 6 दिनों से बारिश गधे के सिर से सिंग की तरह गायब हो चुकी है। गर्मी के मौसम सी तपन और उमस हो रही है। घरों में कुलर और एसी से राहत के हाल बने हुए हैं। बारिश के अभाव में खेतों की मिट्टी फटने लगी है और पौधे कमजोर पडने लगे हैं। अगले 1-2 दिन में झमाझम बारिश नहीं हुई तो इसका सीधा असर फसल पर आना तय है।
इस वर्ष मई में बारिश का दौर रहा था। करीब 12 दिन में उस दौरान 6 इंच के लगभग बारिश की स्थिति बनी थी। मानसून के जल्दी आने की सूचना तो रही लेकिन मानसून 21 जून के लगभग आया था। मई की बारिश को देखते हुए जिले में किसानों ने आधा जून के बाद कई हिस्सों में बोवनी का काम किया था। इसके बाद शेष बचे किसानों ने जुलाई के प्रथम दो सप्ताह में बोवनी को अंजाम दिया । जुलाई में पानी फसल की मांग के अनुसार गिरा और उससे फसल को काफी अच्छी स्थिति बनी।पिछले 6 दिनों से जिले में बारिश नहीं होने और निरंतर तेज धूप की स्थिति बनने से अब फसल प्रभावित होने लगी है।
जमीन फटने लगी,गर्मी से फूल झडे-
भारतीय किसान संघ से संबद्ध सिकंदरी के आनंदसिंह आंजना बताते हैं कि नमी नाम मात्र की स्थिति में बची है। खेतों में पडत पडने से पौधों की जड टूट रही है और पौधा कमजोर हो रहा है। गर्मी की स्थिति में जल्दी बोवनी करने वाले किसानों के खेतों में सोयाबीन के पौधों पर आ रहे फूल झडने लगे हैं। किटनाशक के झिडकाव के बाद पानी की जरूरत थी बारिश नहीं होने से पौधे कमजोर हो रहे हैं। इल्ली एवं अन्य बीमारी भी जिले के कई खेतों और क्षेत्रों में सामने आ गई है। अब अगर पौधों पर किटनाशक का प्रयोग करते हैं तो फूल पूरी तरह से झडने की स्थिति बनेगी और नुकसान होना तय है। श्री आंजना के अनुसार पानी जितनी जल्दी गिरे फसल को उतना ही बचाया जा सकता है। पानी की खेंच के चलते कई कृषक जिनके पास पानी है वे सिंचाई की स्थिति में आ गए हैं। जल्दी बोवनी के मामलों में ये समस्या गंभीर रूप ले चुकी है।
6 दिनों से एक बूंद बारिश नहीं-
जिले में पिछले 6 दिनों से एक बूंद पानी की स्थिति नहीं बन रही है। भू-अभिलेख के तहसील स्तर के वर्षामापी केंद्रों पर लगे जार में भी इन दिनों में पानी का वाष्पीकरण होने की स्थिति सामने आ रही है। पूरे जिले की एक भी तहसील में पिछले वर्ष की स्थिति के अनुसार भी वर्षा के आंकडे सामने नहीं आ रहे हैं। पिछले वर्ष के औसत से करीब 5 इंच से कम वर्षा ही अब तक हुई है।
जिले में वर्षा पिछले वर्ष के मुकाबले-
तहसील इस वर्ष पिछले वर्ष
उज्जैन 451.0 529.0
घट्टिया 257.5 375.0
खाचरौद 373.0 377.0
नागदा 348.9 597.0
बडनगर 313.0 384.0
महिदपुर 323.0 446.0
झार्डा 450.4 550.2
तराना 475.3 532.6
माकडौन 223.0 519.0
औसत जिला 357.2 478.8
स्त्रोत-जिला भू-अभिलेख। नोट आंकडे मिलीमीटर में एवं5 अगस्त 2024 एवं 25 की स्थिति में हैं।
फैलने लगा आंखों का संक्रमण
पहले अच्छी बरसात और फिर खेंच के साथ गर्मी और उमस के हाल ने वायरल बुखार को बढावा दिया है इसके साथ ही आंखों से जुड़ी बीमारियों में खासी बढ़ोतरी हो गई है। अस्पतालों में कई मरीज एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस (आंखों की एलर्जी) से पीड़ित होकर पहुंच रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि बारिश के बाद गंदगी का जमाव एवं फिर उस धूल का आंखों में जाने से यह संक्रमण ज्यादा फैल रहा है।स्कूल जाने वाले बच्चों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों में इस बीमारी की आशंका अधिक है। इसलिए आंखों की विशेष देखभाल बेहद जरूरी है। डॉक्टरों ने सलाह दी है कि, आंखों में किसी भी तरह के लक्षण महसूस होने पर नेत्र-विशेषज्ञ से संपर्क करें और आंखों को बार-बार छूने से बचें और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना बेहद जरूरी है । बरसात के मौसम में हवा में नमी और धूल कणों की मात्रा काफी बढ़ जाती है। यह स्थिति आंखों में एलर्जी और संक्रमण को बढ़ावा देती है। आंखों में लगातार खुजली, लालिमा, पानी आना और जलन एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस के सामान्य लक्षण हैं।
बाजार में मंदी,त्यौहार प्रभावित होंगे-
पानी की खेंच के कारण से बाजार में भी खरीदी के हाल कमजोर हो रहे हैं। इससे बाजार की आवक पर भी असर हो रहा है। आगामी दिनों में ऐसे ही हाल रहे तो इसका असर त्यौहारों के माह पर पडेगा और सीधे तौर पर बाजार इससे प्रभावित होगा। वैसे भी बाजार में महंगाई की मार का असर चल रहा है। त्यौहार से पहले ही नारियल 35 रूपए नग के मान से बिकने की स्थिति सामने आ रही है।
